मौजूदा समय में, मशीन से किए जाने वाले अनुवाद को मानव अनुवाद के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है. इसका एक बड़ा कारण तो यह है कि मशीनें, इंसान के मुकाबले तेजी से अनुवाद करती हैं. इस वजह से, बहुत से लोगों को यह आशंका है कि कहीं आने वाले समय में अनुवाद के लिए, इंसान की जगह मशीनों का ही इस्तेमाल न किया जाने लगे. इससे, उनकी नौकरियां ख़तरे में आ जाएंगी. ऐसे में यह जानना बेहद ज़रूरी है कि क्या वाकई आने वाले समय में ऐसा हो सकता है? इसके अलावा, इन दोनों में से अनुवाद का सबसे बेहतर विकल्प कौनसा है?
मानव अनुवाद
जब कोई व्यक्ति अनुवाद करता है, तो वह इन बातों को अच्छी तरह समझता है कि उसे सही शब्दों का चयन करना है और मूल बात को सही तरीके से पेश करना है. मुहावरे/कहावतों, व्यंग्य और हास्य का अनुवाद करते समय जिन बारीकियों का ध्यान रखना होता है, इंसान को उसकी समझ होती है. कोई व्यक्ति अनुवाद करते हुए इस बात पर ध्यान दे सकता है कि कहीं संस्कृति और भाषा से जुड़ी कोई गड़बड़ी न हो जाए. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि अनुवाद में इंसान की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. जैसे, “We added some butter to Hangouts to make it run faster and slicker.” का अनुवाद किसी मशीन से करने पर, कुछ इस तरह का वाक्य बनता है: “हमने Hangouts को तेज़ और स्लीक चलाने के लिए उसमें कुछ मक्खन जोड़ा है।” हालांकि, बोलचाल की भाषा में इसका सही अनुवाद ऐसा होना चाहिए: “हमने Hangouts के सर्वर में कुछ नई चीज़ें जोड़ी हैं, ताकि यह और भी बेहतर काम करे.”
मशीनी अनुवाद में, इस वाक्य का मतलब पूरी तरह बदल गया. वहीं, जब किसी इंसान ने इसका अनुवाद किया, तो उसने संस्कृति और भाषा की बारीकियों को समझते हुए शब्दों का इस्तेमाल किया. मशीन से किए जाने वाले अनुवाद में, संस्कृति और भाषा से जुड़ी इस तरह की गलतियों की संभावना बनी रहती है.
ऊपर के उदाहरण के आधार पर हम कह सकते हैं कि मशीन से होने वाले अनुवाद में त्रुटि की संभावना होती है और वाक्यों की जटिल संरचना आदि के कारण कई बार उसे समझ पाना भी कठिन होता है.
मशीन अनुवाद
मशीन से अनुवाद का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि अनुवाद का काम तेजी से किया जा सकता है. Google और Microsoft ने अनुवाद के लिए ऐसी मशीनें तैयार की हैं जिनकी मदद से बड़े वाक्यों का अनुवाद भी कुछ सेकंड में हो जाता है. तेजी से अनुवाद करने की क्षमता के कारण कुछ क्षेत्रों में अनुवाद के लिए मशीनों को तरजीह दी जा रही है. दूसरा फ़ायदा यह है कि मशीन से अनुवाद की लागत कम आती है. यही कारण है कि भाषा से जुड़ी सेवा उपलब्ध कराने वाले संगठनों सहित कई क्षेत्रों में पैसे की बचत और ज़्यादा उत्पादकता के लिए मशीनी अनुवाद का इस्तेमाल किया जा रहा है.
मानव अनुवाद बनाम मशीन अनुवाद
अनुवाद से जुड़े क्षेत्रों में मशीन का इस्तेमाल शुरू होने के बाद से ही यह बहस छिड़ गई है कि मशीनी अनुवाद और इंसान के द्वारा किए जाने वाले अनुवाद में से बेहतर कौनसा है. लोग दोनों की गुणवत्ता को लेकर अलग-अलग तरह के तर्क देते हैं.
अगर सीधे तौर पर समझा जाए, तो मशीनी अनुवाद एक भाषा से दूसरी भाषा में शब्दों का सीधा-सीधा मतलब लिख देना है. मशीनी अनुवाद के बेहतर और सटीक नतीजे तभी पाए जा सकते हैं, जब उसमें इंसान की सोच और महारत भी शामिल हो. अनुवाद का कोई जानकार ही बोलचाल की सही भाषा में अनुवाद कर सकता है, जबकि मशीनी अनुवाद इस मामले में बिल्कुल भी कामयाब नहीं है. चूँकि किसी शब्द को वाक्य में कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, तो किसी इंसान की तुलना में मशीन के लिए इस अंतर को समझ पाना मुश्किल हो जाता है.
मशीन अनुवाद का बाज़ार
2020 में, मशीन ट्रांसलेशन मार्केट की वैल्यू 153.8 मिलियन डॉलर थी. उम्मीद है कि 2026 तक यह 230.67 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी. यह, 2021-2026 के दौरान 7.1% के सीएजीआर के बराबर है.
इसकी व्याख्या इस तरह की जा सकती है कि दुनिया के सभी देश बहुत तेज़ी से आपस में जुड़ रहे हैं. इस वजह से लोकलाइज़ेशन की मांग बढ़ी है. तेजी से अनुवाद करने की क्षमता और कम लागत के कारण असिस्टेड ट्रांसलेशन (सीएटी) टूल का बड़े पैमाने में इस्तेमाल किया जा रहा है. ज़्यादा सटीक अनुवाद के लिए, ऐडवांस्ड मशीन लर्निंग मॉडल की मदद से इन टूल में लगातार सुधार किया जा रहा है.
मशीन अनुवाद के मैदान में न्यूरल मशीन ट्रांसलेशन (एनएमटी) में हुई प्रगति भी सराहनीय है. इस तरह के ऑटोमेशन में, न्यूरल नेटवर्क के तौर पर बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण होता है, ताकि शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों की निरंतरता का अनुमान लगाया जा सके. सरल भाषा में इसे AI (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) कहा जा सकता है.
हाल ही में, मशीन अनुवाद में हुए बदलावों के साथ, ग्लोबल लेवल पर बड़ी कंपनिया अनुवाद के बाज़ार में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं.
मशीनी अनुवाद के नुकसान
1. चूँकि मशीनें निर्देश पर काम करती हैं और कुछ चीज़ों को निर्देश के तौर पर बताया नहीं जा सकता. उदाहरण के लिए, भावनाएं, संस्कृति से जुड़ी चीज़ें, परिस्थिति वगैरह. मशीनें इन्हें ठीक से नहीं समझ सकती हैं.
2. मशीनी अनुवाद में वाक्य के भाव पर ध्यान नहीं दिया जाता है.
3. मशीनी अनुवाद शत-प्रतिशत कामयाब नहीं हैं.
4. हर भाषा की अपनी व्याकरणिक संरचना और शब्दावली होती है. इसके अलावा एक ही बात या विचार को अभिव्यक्त करने के लिए अलग-अलग तरीके होते हैं और मशीनें भाषा की इन विशेषताओं को ठीक से नहीं समझ पातीं.
निष्कर्ष
मशीनें एल्गोरिदम की मदद से काम करती हैं, जबकि अनुवादक के रूप में काम करने वाले व्यक्ति अनुवाद करते हुए भाषाई और सांस्कृतिक सीमाओं को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं. इसके अलावा, वे भाषाओं की तमाम बारीकियों को जितनी अच्छी तरह से समझ सकते हैं, मशीनों के लिए उसे समझ पाना कठिन है.
इसलिए, यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि मशीनें भले ही तेजी से अनुवाद कर सकती हैं, लेकिन अनुवाद की गुणवत्ता और सटीकता को ध्यान में रखते हुए मशीनों को इंसानों की जगह ले पाने में अभी वक्त लगेगा.
August 6, 2021 — magnon